2/02/2012

माँ तेरी याद सताती है...

सर्दी की सुबहों में                                                             
जब नींद न खुल पाती है
सच कहता हूँ
माँ तेरी याद सताती है

गरम तवे पे
जब रोटी जल जाती है
सच कहता हूँ
माँ तेरी याद सताती है

 मेस के रूखे खानों से
जब देह की सामत आती है
सच कहता हूँ
माँ तेरी याद सताती है

गंदे कपड़ो पर
जब सफाई काम न आती है
सच कहता हूँ
माँ तेरी याद सताती है

भिकरे मेरे कमरे में
जब टाई गुम हो जाती है
सच कहता हूँ
माँ तेरी याद सताती है

बुखार से जलते सिर पर
जब तेल-मालिश न हो पाती है
सच कहता हूँ
माँ तेरी याद सताती है

थक-हर कर सो जाने पर
जब तेरी आँचल न मिल पाती है
सच कहता हूँ
माँ तेरी याद सताती है...

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