2/01/2012

एक नयी अमन की आशा...


ये कैसा उन्माद है
इतना भीषण क्यूँ संग्राम है
कुछ ज़मीन के टुकड़ो मेंऐसी क्या बात है
अंतहीन इस कोलाहल मेंकिसकी जीत किसकी हार है
महाभारत है ये या महाभिशाप है

'सदा-इ-सरहद'* कुछ न कर पाया
न कर सकी कुछ 'अमन की आशा'
उस भिकरते मुल्क में छाई ऐसी क्यूँ निराशा
कितने 'बार्डर' हम सील करेंगेकितने तोप बनायेंगे
इतनी नफरत इतनी गैरत
क्या ये खिलोने रोक पाएंगे?

कौन गलत था कौन सही
गाँधी , जिन्नाह या नेहरु
था सब धर्मो का घनचक्कर
या फिर पश्चिम का अँधा गुरूर

कब तक ये हिसाब लगायेंगे
कब तक इतिहास दोहराएंगे
और कितने खून बहायेंगे
और कितनी लाशें बिछायेंगे

धरम-जात के बन्दूक से
कब तक आंतक मचाओगे
ओ शासन के रखवालो
कब तक हमे रुलाओगे

समय सटीक है
अमर प्रतिज्ञा लेने का
हर युवक को
हर बच्चे को
ये सीख देने का

नहीं झुकेंगे, नहीं लड़ेंगे
दकियानुसी बातों पर
नहीं बटेंगे, नहीं मरेंगे
झूटे आज़ादी के सोपानो पर

'हम एक है' आओ इसका नाद करे
झुटे ढकोसोलो पर मिलकर वार करे
साथ चले और जीवन का उथान करे
रचे नया इतिहास नव-पथ का निर्माण करे
लाये मिलकर हम नयी 'अमन की आशा'
बदल दे अपने बीते जीवन की परिभाषा...

सदा-इ-सरहद* - is the name of Delhi-Lahore bus service started as a peace initiative during the Atal Bihari Vajpayee's government.

photo: memestreamblog.wordpress.com

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