2/02/2012

जीवन तुम रचती...

अपनों में सिमटी
ममता में लिपटी
खुद में खपती
जीवन तुम रचती

काया में ढलती
प्रेम में पिघलती
सतत तुम जलती
प्राथना में रमती
जीवन तुम रचती

मोह तुम करती
माया में फसती
निर्माण करती
वंश चलाती
जीवन तुम रचती

अपनों में सिमटी
ममता में लिपटी
खुद में खपती
जीवन तुम रचती

आशा तुम जगाती
निराशा भगाती
सृजन तुम करती
उथान करती
जीवन तुम रचती

प्रज्ञा बढाती
गौरव तुम लाती
रेगिस्तानी जड़ता मिटाती
हरियाली सजाती
जीवन तुम रचती...

जीवन तुम रचती...


माँ तेरी याद सताती है...

सर्दी की सुबहों में                                                             
जब नींद न खुल पाती है
सच कहता हूँ
माँ तेरी याद सताती है

गरम तवे पे
जब रोटी जल जाती है
सच कहता हूँ
माँ तेरी याद सताती है

 मेस के रूखे खानों से
जब देह की सामत आती है
सच कहता हूँ
माँ तेरी याद सताती है

गंदे कपड़ो पर
जब सफाई काम न आती है
सच कहता हूँ
माँ तेरी याद सताती है

भिकरे मेरे कमरे में
जब टाई गुम हो जाती है
सच कहता हूँ
माँ तेरी याद सताती है

बुखार से जलते सिर पर
जब तेल-मालिश न हो पाती है
सच कहता हूँ
माँ तेरी याद सताती है

थक-हर कर सो जाने पर
जब तेरी आँचल न मिल पाती है
सच कहता हूँ
माँ तेरी याद सताती है...

2/01/2012

एक नयी अमन की आशा...


ये कैसा उन्माद है
इतना भीषण क्यूँ संग्राम है
कुछ ज़मीन के टुकड़ो मेंऐसी क्या बात है
अंतहीन इस कोलाहल मेंकिसकी जीत किसकी हार है
महाभारत है ये या महाभिशाप है

'सदा-इ-सरहद'* कुछ न कर पाया
न कर सकी कुछ 'अमन की आशा'
उस भिकरते मुल्क में छाई ऐसी क्यूँ निराशा
कितने 'बार्डर' हम सील करेंगेकितने तोप बनायेंगे
इतनी नफरत इतनी गैरत
क्या ये खिलोने रोक पाएंगे?

कौन गलत था कौन सही
गाँधी , जिन्नाह या नेहरु
था सब धर्मो का घनचक्कर
या फिर पश्चिम का अँधा गुरूर

कब तक ये हिसाब लगायेंगे
कब तक इतिहास दोहराएंगे
और कितने खून बहायेंगे
और कितनी लाशें बिछायेंगे

धरम-जात के बन्दूक से
कब तक आंतक मचाओगे
ओ शासन के रखवालो
कब तक हमे रुलाओगे

समय सटीक है
अमर प्रतिज्ञा लेने का
हर युवक को
हर बच्चे को
ये सीख देने का

नहीं झुकेंगे, नहीं लड़ेंगे
दकियानुसी बातों पर
नहीं बटेंगे, नहीं मरेंगे
झूटे आज़ादी के सोपानो पर

'हम एक है' आओ इसका नाद करे
झुटे ढकोसोलो पर मिलकर वार करे
साथ चले और जीवन का उथान करे
रचे नया इतिहास नव-पथ का निर्माण करे
लाये मिलकर हम नयी 'अमन की आशा'
बदल दे अपने बीते जीवन की परिभाषा...

सदा-इ-सरहद* - is the name of Delhi-Lahore bus service started as a peace initiative during the Atal Bihari Vajpayee's government.

photo: memestreamblog.wordpress.com